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Origion of The Hindi Language


    हिंदी भाषा का मूल

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हिंदी भाषा का मूल

भाषा (Language) :

भाषा एक ऐसी शक्ति है जो मनुष्य का सम्बन्ध समाज के साथ कायम करने में सहायक बनती है । भाषा समय, स्थान(Time & Place)के अनुसार तबदील होती रहती है और नए रूप धारण करके अपना वर्चस्व कायम करती है, सबसे प्राचीन भाषा के रूप में उत्तर भारत की वैदिक भाषा  उपलब्ध होती है ।

व्याकरणिक नियमों (Grametical Rules)  की कठोरता के कारण जब मानस की भाषा का विकास पालि एवं प्राकृत में  हुआ किन्तु इसका विकास अवरुद्ध हो जाने पर जन भाषा ने जो रूप ग्रहण किया उसे अप्रभंश नाम से अभिहीत किया गया । बाद में यह वर्तमान आर्य भाषाओं के रूप में विकसित होने लगी । इसप्रकार शौरसैनी अपभ्रंश से हिन्दी का विकास माना गया है और लगभग 10वीं शताब्दी से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव हुआ । प्राचीन काल में हिन्दी में तत्सम, तद्भव, देशी, विदेशी भाषाओं का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है । इस समय हिन्दी की उपभाषाओं अथवा बोलियों में मुख्य रूप से डिंगल, ब्रजभाषा, मैथिली, पंजाबी और अवधी गिनी जाने लगी । मध्यकाल में अपभ्रंश का प्रभाव हिन्दी से हटने लगा और देशज व अपभ्रंश तद्भव के स्थान पर संस्कृत तत्सम शब्दों को ग्रहण किया जाने लगा । भक्ति आन्दोलन में साहित्यिक दृष्टि से हिन्दी की दो बोलियां ब्रज और अवधी ही समृद्ध हुईं और आधुनिक युग मंे हिन्दी पूर्णतः विकसित हो गई ।  अंग्रेज़ी शासनाधिकार के कारण अनेक परिवर्तन हुए जिसने भाषा को भी प्रभावित किया । ब्रज भाषा पर खड़ी बोली का इतना प्रभाव पड़ा कि ब्रज का स्थान खड़ी बोली ने ले लिया । आज हिन्दी केवल भारत में ही नहीं अपितु अन्य देशों में भी पर्याप्त मात्रा में ख्याति प्राप्त कर रही है ।


Some Important links :

  • https://www.arvinderkaur31.com/2018/04/Hindi-punjabi-relation.html

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