देवनागरी लिपि की विशेषताएं : (CHARACTERSTICS OF DEVNAGARI SCRIPT )
1 .विश्व की लगभग सभी भाषाओँ की ध्वनियों को उच्चरित करने की क्षमता ( CAPACITY TO PRONUNCIATION OF ALL LANGUAGES )
विश्व की लगभग सभी भाषाओँ की ध्वनियों को उच्चरित करने की क्षमता अगर किसी लिपि में है तो वो केवल देवनागरी लिपि ही है | उर्दू और अंग्रेज़ी की कुछ ध्वनियों को बोलने व लिखने के लिए इसमें कुछ परिवर्तन कर दिए गए हैं , यथा : ज के पैर में बिंदी लगा कर ज़ का प्रयोग किया जाने लगा है यथा : ज़मीन फर्ज़ ग़ज़ल आदि | इसीप्रकार अंग्रेज़ी के 'O' उच्चारण करने के लिए ( ॉ) चिन्ह का प्रयोग समयानुसार किया जा रहा है यथा : कॉलेज ,ब्लॉग ,डॉक्टर | कहने से तात्पर्य जहा कोई कमी दिखाई पड़ती है तो थोड़े से परिवर्तन करके उसे दूर किया जा सकता है ,यह इसकी सबसे बड़ी विशेषता है |
2 . देवनागरी में जैसे लिखा जाता है , वही पढ़ा भी जाता है (WHAT EVER IS WRITTEN IN DEVNAGRI IS READ )
रोमन और फ़ारसी लिपिप्यों में लिखा कुछ जाता है और पढ़ा कुछ और ही जाता है ,इनमें बोलने था लिखने के कोई निश्चित नियम नहीं हैं | किन्तु देवनागरी में ऐसा नहीं है इसमें एक ध्वनि के लिए एक ही वर्ण है , इसलिए लिखने और पढ़ने में कोई असुविधा नहीं है |3 . देवनागरी में वर्णमाला स्वर और व्यंजन में विभाजित किये गए हैं (THE ALPHABET IN DEVNAGARI IS DIVIDED INTO VOWELS AND CONSONANTS)
स्वर और व्यंजन की ध्वनियों में विभिन्ता स्पष्ट दिखाई पड़ती है , जिसका कारण है इस विभाजन को ध्वनियों पर निर्धारित किया गया है |
DEVNAGARI SCRIPT
अ, आ, इ , ई ,उ, ऊ, ए ,ऐ ,ओ ,औ, ऋ |
कवर्ग : क ख ग घ ड.
चवर्ग : च छ ज झ ञ
टवर्ग : ट ठ ड ढ ण
तवर्ग : त थ द ध न
पवर्ग : प फ ब भ म
य र ल व (अन्तस्थ )
श ष स ह (उष्म )
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