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Hindi Sahitya Ka Itihas (हिंदी साहित्य का इतिहास)

Hindi Sahitya Ka Itihas (हिंदी साहित्य का इतिहास)

Hindi Sahitya Ka Itihas (हिंदी साहित्य का इतिहास)
हिंदी साहित्य का इतिहास
हिंदी साहित्य के इतिहास को जानने का सर्वप्रथम प्रयास फ्रेंच 󠀁विद्वान्  गार्सा द ताँसी   द्वारा किया गया | इस्तवार द ला लितेरात्युर एंदुई  ए ऐंदुस्तानी " नामक फ्रेंच भाषा के ग्रन्थ में अंग्रेजी वर्णक्रमानुसार हिंदी और उर्दू भाषा के अनेक कवियों और कवियित्रियों का परिचय प्राप्त होता है | लेखक ने हिंदी के प्रधान कवियों की जीवनियों और काव्य ग्रंथों का विवरण इसमें प्रस्तुत  किया है ,किन्तु काल  विभाजन अथवा प्रवृतियों का कोई ब्यौरा नहीं दिया |लेकिन  फ्रेंच विद्वान् होने के बावजूद हिंदी साहित्य पर कार्य करना कोई काम महत्वपूर्ण बात नहीं है  |  तदुपरांत शिव सिंह सेंगर ने "शिव सरोज "ग्रन्थ में लगभग 1000 भाषा कवियों के जीवन चरित्र और उनकी कविताओं का  उल्लेख प्रस्तुत किया  | इतिहास लेखन की उपयोगी सामग्री को व्यापक रूप में एक स्थान पर संकलित करना ही इनकी विशेषता रही है |  इनके पश्चात् जार्ज ग्रियर्सन के "The Modern Venkyular Litrature Of Hindustan "का प्रकाशन  "Asiatic Society Of Bengal "की पत्रिका के विशेषांक के रूप में 1822 किया गया | इस ग्रन्थ का आधार चाहे शिव सिंह सरोज ही था , पर इसमें जहाँ एक और काल विभाजन का ज़िक्र  किया गया , वही दूसरी और समयानुसार हो रही साहित्यिक प्रवृतियों के दर्शन भी दिखाई पड़ते हैं | इसमें लगभग 952 कवियों की बात की गई |  इतिहास लेखन की परम्परा को आगे बढ़ाने का अगला प्रयास मिश्रबंधुओं ने किया | इनके ग्रन्थ "मिश्रबन्धु विनोद" में 5000 कवियों का वर्णन है | उनके इस ग्रन्थ में पूर्ववर्ती इतिहास को ही आधार बनाया , नवीनंता का समावेश कहीं दृष्टिगोचर नहीं होता | हिन्दी साहित्य के इतिहास ग्रंथों में अगर कोई नाम सर्वोपरि नाम  है तो वो है_ आचार्य रामचन्द्र शुकल |शुक्ल कृत ग्रन्थ "हिंदी साहित्य का  इतिहास "  महत्वपूर्ण स्थान रखता है | इन्होंने कवियों  की संख्या को नज़रन्दाज  कर , उनके साहित्यिक महत्त्व पर अधिक ज़ोर दिया है | इन्होंने  न केवल इतिहासिक दृष्टिकोण को इस ग्रन्थ का आधार  बनाया है ,अपितु काल विभाजन का भी सफल प्रयत्न किया  |  अगर यह कहा जाये कि आधुनिक युग के इतिहास रुपी विशाल भवन की नींव आचार्य शुक्ल जी हैं  तो इसमें कोई अतकथनी नहीं है |
उनके द्वारा रचित ग्रन्थ  "

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